सुकून

देश दुनिया की खबर की ओर
मुखातिब होकर टीवी ऑन करते ही
मंदिर मस्जिद पर बेतरतीब चर्चाएं
और सियासतदानों के नफरत भरे बयां..
कायां पकना आरंभ होते ही हैं कि
अनचाहे बालों की तरह उग आए
विज्ञापनों की भरमार
उफ्फ..
अब तो टीवी से डर लगता है

जब दिल जर्रा जर्रा हो बिखरने लगा
अलमारी से निकाल कर एक पुस्तक
के पन्ने पलटे कागज़ की भीनी गंध
नथुनों में घुस आई और
बेहद सुखद अहसास हुआ
कुछ पन्ने पढ़ने के बाद लगा
लंबी यात्रा के बाद घर लौट आया हूँ
मन की थकान उतरने लगी
सच कहूँ अब पुस्तक ‘घर सा’ लगता है

About alokdilse

भारतीय रेलवे में यात्री गाड़ियों के गार्ड के रूप में कार्यरत.. हर वर्ष नए वृक्ष लगाने का शौक.. जब मन् भावुक हो जाता है , लिखना आरम्भ कर देता हूँ। ईश्वरवादी, राष्ट्रवादी और परम्परावादी हूँ। जियो और जीने दो में यकीन है मेरा।
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