नित्य गगन की करो सवारी
चन्द्र तुम्हारी बात है न्यारी
नया रोज रूप तुम धरते
प्रेम उपासक तुम पर मरते
है मामा बतलाती महतारी
चंद्र तुम्हारी बात है न्यारी
लाख सितारे रंग हैं भरते
सारे जगत को जगमग करते
रैन की तुम बिन सूनी अटारी
चंद्र तुम्हारी बात है न्यारी
धवल तुम्हारा रूप रंग है
महादेव का श्रृंगार अंग हैं
सोलह कलाओं के अधिकारी
चंद्र तुम्हारी बात है न्यारी
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